Posted on 13/06/2019

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास के शुल्क पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी का विशेष मह्त्व है। एक साल में होने वाली 24 एकदाशी में से, निर्जला एकादशी सबसे श्रेष्ठ और कठिन मानी जाती है। यह व्रत बिना पानी के रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। निर्जला एकादशी पर पानी पिए बिना भगवान विष्णु की पूर्ण विधि से पूजा-अर्चना की जाती है। निर्जला एकादशी का यह व्रत जीवन में जल की महत्वता को बताता है।
इस बार Nirjala Ekadashi 2019 व्रत, 13 जून गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की आराधना, पूर्ण विधि से व्रत व दान-पुण्यसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है, जीवन निरोग रहता है और सुख सौभाग्य की प्राप्ती होती है। हिंदू पुराणों के अनुसार महाराभारत काल में इस व्रत को भीम ने किया था, इस लिए निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी और पाण्डव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
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